अहमदाबाद विमान दुर्घटना में 259 मृतकों की पहचान, 256 शव सौंपे गए

गुजरात के अहमदाबाद में हाल ही में हुई विमान दुर्घटना में जान गंवाने वाले लोगों के शवों को उनके परिजनों को सौंपने की प्रक्रिया जारी है;

By :  Dblive
Update: 2025-06-24 04:33 GMT

अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद में हाल ही में हुई विमान दुर्घटना में जान गंवाने वाले लोगों के शवों को उनके परिजनों को सौंपने की प्रक्रिया जारी है। इसी संबंध में सिविल अस्पताल के अधीक्षक डॉ. राकेश जोशी ने सोमवार को बताया कि अब तक कुल 259 मृतकों की पहचान की जा चुकी है, जिनमें से 253 की पहचान डीएनए जांच के माध्यम से और 6 की पहचान चेहरों केअहमदाबाद विमान दुर्घटना में 259 मृतकों की पहचान, 256 शव सौंपे गए आधार पर की गई है। इन मृतकों में से 256 शव परिजनों को सौंपे जा चुके हैं, जबकि शेष 3 शवों को जल्द ही संबंधित परिजनों तक पहुंचा दिया जाएगा।

डॉ. जोशी ने बताया कि डीएनए मिलान के आधार पर 253 मृतकों की पुष्टि हुई है, जिनमें 240 यात्री और 13 गैर-यात्री शामिल हैं। कुल 19 गैर-यात्री शवों में से 13 की पहचान डीएनए से और 6 की चेहरे से की गई है। पहचाने गए 259 मृतकों में 180 भारतीय नागरिक, 7 पुर्तगाली, 52 ब्रिटिश नागरिक, 1 कनाडाई नागरिक और 19 गैर-यात्री शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि 256 शवों में से 28 को हवाई मार्ग से और 228 को सड़क मार्ग से उनके परिजनों के पास भेजा गया है। वहीं, तीन ब्रिटिश नागरिकों के शव अभी भेजे जाने बाकी हैं, जिन्हें जल्द ही निर्धारित अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से उनके देश भेजा जाएगा।

डॉ. जोशी के अनुसार अहमदाबाद में 73, आनंद में 29, वडोदरा में 24, सूरत में 12, खेड़ा में 11, दीव में 14, महाराष्ट्र में 13, भरूच में 7, मेहसाणा में 7, गांधीनगर में 7, उदयपुर में 7, गिर सोमनाथ में 5, पाटन में 4, भावनगर में 3, राजकोट में 3, जामनगर में 2, बनासकांठा में 2, द्वारका में 2, अरावली में 2, अमरेली में 2, खंभात में 2, जोधपुर, जूनागढ़, पालनपुर, नडियाद, साबरकांठा, मोडासा, नागालैंड, मणिपुर, केरल, पटना और मध्य प्रदेश में 1-1 शव मृतकों के परिजनों को सौंपे गए हैं। वहीं, लंदन भेजे गए शवों की संख्या 10 रही।

उन्होंने आगे कहा कि कुछ मामलों में डीएनए नमूनों की पुनः जांच की आवश्यकता पड़ी, इसलिए कुल लिए गए डीएनए सैंपलों की संख्या मृतकों की संख्या से अधिक हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया अत्यंत सावधानीपूर्वक और वैज्ञानिक विधियों के माध्यम से की जा रही है, जिससे पीड़ित परिवारों को अधिकतम सहायता मिल सके।

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